काव्य विष्णु सदन ज्ञानमंदिर, महाराष्ट्र राज्य यांचे सहयोगाने चारूदत्ताश्रय अखंडज्ञानयोग द्वारा प्रदर्शित...
|| श्री विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा ||
आत्मरूप बलशाली | करा आत्मरूप बाली || १ || बलयुक्त आत्मदर्शा | करा आत्मरूप साक्षाः || २ || आत्मबल सामर्थ्यशाली | तेथें विराजे महाबली || ३ ||
चारू म्हणे हे अंगीव्रत | सदा आचरतसे सुकृत || ४ |||
- गुरूवर्य श्रीविष्णुभक्त चारूदत्त 
आत्मरूप बलशाली | करा आत्मरूप बाली || १ || बलयुक्त आत्मदर्शा | करा आत्मरूप साक्षाः || २ || आत्मबल सामर्थ्यशाली | तेथें विराजे महाबली || ३ ||
चारू म्हणे हे अंगीव्रत | सदा आचरतसे सुकृत || ४ |||
- गुरूवर्य श्रीविष्णुभक्त चारूदत्त 
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